मैं भी
कहते हैँ इंसान से बड़ा शैतान कोई नहीं होता.ये शैतान किसी भी जानवर से ज्यादा हिंसक और बेरहम होता है.लेकिन इन दिनों सोसाइटी में लगातार होने वाली निर्मम हत्याएँ ऐसे ही किसी शैतान की आहट का संकेत दे रही थी.आज सुबह-सुबह मिली "डिसुजा" साहब की नुची फ़टी लाश ने सोसाइटी में रहने वाले सभी लोगों के होश उड़ा दिये थे.हालांकि "डिसुजा" साहब के पास उनकी लाश को भम्भोड़ते कुत्ते को देख कुछ लोग हत्याओं में उसी के आदमखोर होने का शक कर रहे थे लेकिन कुछ अभी भी यही मान रहे थे कि उनकी सोसाइटी में कोई दरिंदा रह रहा है जिसके मुँह इंसानी खून लग गया है.
इस केस पर काम कर रहा इंस्पेक्टर करन भी सोसाइटी के फ्लैट नंबर 13 में अपने माता-पाता और दो भाई बहन "हैरी" और "चिल्ली" के साथ रहता था.अभी कुछ समय पहले "करण" के घर के सामने वाले फ्लैट में रहने आई "प्रिया" उसे बहुत पसंद थी.शुरुआत में "करण" ने उसको लिफ्ट देकर,उससे बात करके अपनी दोस्ती का हाथ भी बढ़ाने की कोशिश की लेकिन "प्रिया" ने बेरुखी से उसे नज़र अंदाज कर दिया और अपनी सहेली "प्रीती" के साथ निकल गयी.
उसी शाम सोसाइटी में रहने वाले "चंकी" की सनसनीखेज मौत ने सबको दहला कर रख दिया.अफवाह उड़ी कि इन हत्याओं के पीछे एक नरभक्षी चमगादड़ हो सकता है जो सोसाइटी में ही बने पेड़ों में कही छुपा हुआ है.खबर सुनकर इंस्पेक्टर "करण" बाकि लोगों के साथ उस चमगादड़ को ढूंढने निकलता है और तय होता है कि हर पेड़ पर चढ़कर उस चमगादड़ को ढूंढा जायेगा.तब वही रहने वाले "विक्की" साहब हिम्मत दिखाते हैँ और "करण" के साथ मिलकर उस खूनी चमगादड़ को ढूंढने की कोशिश करते हैँ लेकिन "करण" द्वारा चली गलत गोली से हुए हादसे में उनकी जान चली जाती है और उनकी बेटी "प्रिया" पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है.
इस घटना का दोषी मानते हुए "करण","प्रिया" के पास माफ़ी मांगने जाता है लेकिन वो उससे नफरत करती हुई उसे भगा देती है."प्रिया" की तरफ से माफी मांगने आई उसकी सहेली "प्रीती" जो "करण" को फूल देते हुए इशारा कर जाती है कि वो उसे पसंद करती है लेकिन "प्रिया" के ख्यालो में खोया "करण" एक बार फिर उसके फ्लैट पहुँच जाता है.फ्लैट में "प्रिया" के साथ उसके मंगेतर को देख करण निराश होकर वापस लौट जाता है.उसी शाम "प्रीती" की भी उसी रहस्यमय तरीके से हत्या हो जाती है.
गटर में मिली "प्रीती" की लाश देखकर सोसाइटी में हंगामा मच जाता है और इंस्पेक्टर "करण" इस क़त्ल का पता लगाने आता है लेकिन मौके पर अपने मंगेतर "अमर" के साथ पहुंची "प्रिया" को देख वहां से चला जाता है."अमर" जो पेशे से डिटेक्टिव है,क़त्ल का पता लगाने उस गटर में उतरता है लेकिन दुर्भाग्य से उसका सामना उसी खूनी दरिंदे से हो जाता है जो वहां पहले से ही मौजूद होता है.तब गटर से "अमर" की लाश को बाहर निकाला जाता है और "प्रिया" पर जैसे दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है.
एक के बाद एक हो रही इन वीभत्स मौतों से भयभीत हुई "करण" की माँ "ललिता" अपने पति के मना करने के बाद भी परिवार के लिए शमशान साधना करने का निश्चय करती हैँ.जबकि "करण" अकेली हो चुकी "प्रिया" को अपने फ्लैट में रहने के लिए मना लेता है."करण" की हकीकत जान चुकी "प्रिया" उसे उसका राज बताते हुए कहती है कि वो जान चुकी है कि "करण" ही वो दरिंदा है जिसने उसे पाने के लिए उसके पिता,मंगेतर और सहेली को मारा है.वो "करण" के सामने शर्त रखती है कि वो उसकी तभी होगी ज़ब "करण" उसके लिए अपने समूचे परिवार को ख़त्म कर अपनी दीवानगी का सबूत देगा.उसकी बात सुनकर "करण" वहां से निकल जाता है.
इधर शमशान साधना कर रही "ललिता" अपने परिवार का डरावना सच शमशान भैरवी और "अघोरी" को बताती है.वो बताती कि कैसे बरसो पहले उसके पति ने खाल के लिए पहले नर भेड़िया को मारा और फिर उसकी गर्भवती मादा को भी नहीं छोड़ा.निर्ममता से की गयी मादा भेड़िया की हत्या इतनी दहला देने वाली थी कि उस दृश्य को वो आज भी याद करती है.उस घटना के बाद उसे लगने लगा था कि उसके परिवार पर भेड़िया शाप लग चुका है और पहली संतान के पैदा होते ही इसका असर दिखना शुरू हो गया था.जल्द ही वो समझ गयी कि गुस्से और जलन में उसका परिवार खूनी भेड़िये में बदल जाता है और कॉलोनी में हो रही हत्याओं में भी उसी के परिवार का हाथ है.तभी वहां "करण" आता है और अपनी माँ को मारने के बाद फ्लैट पहुँच कर अपने भाई-बहनो और पिता को भी नहीं छोड़ता.
अपने पूरे परिवार को मौत के घाट उतारने के बाद "करण" वापस "प्रिया" के पास जाता है और बोलता है कि उसने शर्त पूरी कर दी है.ये सुनकर प्रिया हँसने लगती है और "रूह" में बदल जाती है.तब आखिर में राज का पर्दाफाश होता है कि वो "प्रिया" ना होकर एक अभागी लड़की की आत्मा है जो "करण" के परिवार की वजह से ही मारी गयी थी जबकि "प्रिया" नाम की लड़की अपने मंगेतर के मरने के बाद ही अपनी मौसी के यहाँ चली गयी थी.अब ज़ब उन दरिंदो का पूरा परिवार ख़त्म हो चुका है तब उस रूह को शांति मिलेगी.ये कहकर वो "करण" के पीछे पड़ जाती है और अंततः उसे मार कर हमेशा के लिए लौट जाती है.अंत में कॉलोनी पर से मनहूसियत के बदल हट गए थे और एक नई आशा की किरण दस्तक देती हुई लग रही थी.
समाप्त
Miss Lipsa
26-Aug-2021 07:04 AM
Mind blowing
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ऋषभ दिव्येन्द्र
16-Jun-2021 07:01 PM
गजब का कहानी लिखा आपने बन्धु 👌👌👌👌
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Natash
16-Jun-2021 10:27 AM
गुड स्टोरी
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